Thursday, February 25, 2010

मैं और आईना........

देवेश प्रताप

एक दिन आईने ने मुझसे पूछा ,
तूने प्यार में दर्द कि सिवा पाया ही क्या है।
मैंने आइने से हंस कर कहा,
कि तुने मेरी सूरत के सिवा देखा ही क्या है

आईने ने पलट कर कहा,
फिर तेरी आँखों में ये आंसू क्यों टिकता है
मैंने आईने से मुस्करा कर कहा,
उनकी तस्वीर को तू आंसू क्यों समझता है

आईने ने फिर मुझसे पूछा ,
तू उसी से क्यों इतनी मोहब्बत करता है
मैंने आइने से नजरे मिला कर कहा,
समंदर में बमुश्किल से सीप का मोती मिलता है

1 comment:

  1. मैंने आईने से मुस्करा कर कहा,
    उनकी तस्वीर को तू आंसू क्यों समझता है ॥
    .....बहुत खूब !!!

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Thanks