Sunday, February 14, 2010

ए सपनों की परी,,,,,,,

देवेश प्रताप


सपनों की परी
तू कंहा रहती है

कभी मेरे बसेरे में
आया करो

बैठेंगे खूब बातें करंगे
हमें अपने भी किस्से सुनाया
करो

सपनों की दुनिया में साथ
सैर करंगे
मेरे ख्वाबो को भी सजाया
करो

तेरे आने से दुनियां हँसी हो जाती है
मेरी
दुनिया में भी फूल बरसाया
करो

तेरी यादों में रातें छोटी हो जाती है
यूँ यादों से दूर जाया करो

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