देवेश प्रताप
ए सपनों की परी
तू कंहा रहती है ।
कभी मेरे बसेरे में
आया करो ॥
बैठेंगे खूब बातें करंगे ।
हमें अपने भी किस्से सुनाया
करो ॥
सपनों की दुनिया में साथ
सैर करंगे ।
मेरे ख्वाबो को भी सजाया
करो ॥
तेरे आने से दुनियां हँसी हो जाती है।
मेरी दुनिया में भी फूल बरसाया
करो ॥
तेरी यादों में रातें छोटी हो जाती है ।
यूँ यादों से दूर जाया न करो ॥
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