Friday, February 26, 2010

वस्तु का प्रचार या स्त्री का ........

देवेश प्रताप

आज आधुनिकता के दौर में , सबसे ज़्यादा क्रांति आई तो वो संचार में , संचार के माध्यम धीरे धीरे अपने पैर पसारते गए जिसमें नई -नई तकनीक शामिल होती गयी किसी भी ''वस्तु'' के बारें में लोगों तक जानकारी पहुँचाने का कार्य , संचार माध्यमों से शुरू हुआ , ''प्रचार '' कि उत्पति यही से हुई यदि ''प्रचार'' जैसा शब्द होता तो शायद बहुत कुछ होता आज के युग में किसी भी ''चीज़'' का प्रचार करना बहुत आसान हो गया हैकुछ वर्ष पहले यदि प्रचार टी.वी पर आया करते थे तो ये होता था कि कितनी जल्दी प्रचार ख़त्म हो क्यूंकि तब के प्रचार बहुत साधारण तरीके प्रस्तु किये जाते थे , परन्तु जैसे -जैसे समय बदलता गया ......प्रचार में भी बदलाव आता गया और अब तो कुछ प्रचार ऐसे बन गए कि उन्हें देखने का मन बार बार करता है , किसी भी वस्तु का प्रचार आज के समय में सबसे ज्यादा स्त्रियाँ ही करती है आकर्षण का केंद्र मानी जाने वाली नारी , किसी भी वास्तु का प्रचार कम, नारी का प्रचार ज्यादा होने लगा है , चलिए ये माना कि ...क्रीम , तेल ,शैम्पू इत्यादि वस्तुओं का प्रचार कोई स्त्री करें तो एक तुक बनता है , परन्तु किसी ....मोटरकार के टायर , सीमेंट , पान मसाला , इंजन के तेल , या पुरुष के अन्तःवस्त्र के प्रचार में एक कामुकता के अंदाज में किसी स्त्री कि क्या आवशयकता आज के समय में ऐसे प्रचार टीवी या पेपर में देखने को मिलते है जिसमें साफ़ दिखाई देता है कि इस प्रचार में ''नारी'' के जिस्म का प्रचार किया जा रहा है .......मुझे तो ऐसे प्रचार बेतुके लगते हैं
आज - कल टीवी पर एक सीमेंट का प्रचार आता है ......प्रचार कुछ इस तरह से है '' एक लड़की (swim costume )पहन कर समन्दर से बहार आती है ....धीरे -धीरे जब वो स्क्रीन में एकदम समाहित होने को होती है .......तभी स्क्रीन पर एक सीमेंट का नाम लिख कर आता है और कुछ वाइस ओवर भी होता है ''.......मैं तो अभी तक इस प्रचार का मतलब नहीं समझ पाया कि उस लड़की और सीमेंट का क्या .........यदि आप लोगो ने ये प्रचार देखा हो ........और इसका कुछ मतलब समझा हो तो हमें अवश्य बतलायें ..........जिन्होंने देखा हो तो कोई बात नहीं .........आज के युग में ये अधिक सुनने को मिलता है कि लड़कियां - अब लड़कों से कदम से कदम मिला कर चल रही है ...........ये सुन कर अच्छा लगता है .......लेकिन ये भी सत्य है कही कही ये कुंठित समाज उन्हें अपने चंगुल में फंसा कर रखा है ........आज किसी भी बड़ी संस्था में स्वागत द्वार (reception) पर स्त्रियाँ बैठी नजर आएँगी .........जो शोभा भी देता है ........लकिन कई जगह तो बेतुका लगता है .......जिन्हें ये लगता है किसी नारी के उपयोग से अपना कार्य सफल बना लेंगे तो वो सबसे ज्यादा कुंठित है यदि आप उनके अंदर के हुनर या गुण का उपयोग करेंगे तो सफलता कदम चूमेगी .......''.क्यूंकि नारी तू सम्मान है .........इस सृष्टि कि गुमान है ''

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