देवेश प्रताप
एक दिन आईने ने मुझसे पूछा ,
तूने प्यार में दर्द कि सिवा पाया ही क्या है।
मैंने आइने से हंस कर कहा,
कि तुने मेरी सूरत के सिवा देखा ही क्या है ॥
आईने ने पलट कर कहा,
फिर तेरी आँखों में ये आंसू क्यों टिकता है ।
मैंने आईने से मुस्करा कर कहा,
उनकी तस्वीर को तू आंसू क्यों समझता है ॥
आईने ने फिर मुझसे पूछा ,
तू उसी से क्यों इतनी मोहब्बत करता है ।
मैंने आइने से नजरे मिला कर कहा,
समंदर में बमुश्किल से सीप का मोती मिलता है ॥
मैंने आईने से मुस्करा कर कहा,
ReplyDeleteउनकी तस्वीर को तू आंसू क्यों समझता है ॥
.....बहुत खूब !!!