Saturday, February 20, 2010

तन्हाई कहती है .....

देवेश प्रताप

तन्हाई अपनी व्यथा सुनाते हुए कहती है ......

अक्सर वो मुझसे ख़फा रहते है
जाने क्यों मुझसे जुदा रहते है

मैं दामन विछा देती हूँ
उनकी ख़ुशी के लिए
जब उनके जीवन के
फूल मुरझा जाते है

मचल जाती हूँ
उनकी एक हंसी के लिए
सहन होता नहीं ,ये देख कर
जब वो बेवफा के लिए रोया करते है

दौड़ आती हूँ , पास
उनके लाख मना करने पर
खुश होता है मन ,उन्हें देख कर
चैन से जब वो सोया करते है

''तन्हाई'' कह कर मुझे ,वो कोसा करते है
तन्हा मै भी तो हूँ, क्यूँ वो समझा करते है

1 comment:

  1. ''तन्हाई'' कह कर मुझे ,वो कोसा करते है ।
    तन्हा मै भी तो हूँ, क्यूँ न वो समझा करते है ॥

    बहुत अच्‍छे भाव !!

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Thanks