Friday, March 5, 2010

मोबाइल ........................... जरा संभल के

Ramesh Maurya

भारत ने जिस क्षेत्र में सबसे ज़्यादा तरक्की की है वह है संचार का क्षेत्र। रेडियो , टी वी , पेजर, मोबाइल ये सब संचार क्रांति का ही नतीजा है। आज हामारा भारत दूरसंचार क्षेत्र के लिए सबसे ज़्यादा संभावनाओ वाला बाज़ार है, दुनिया कि बहुत सी कंपनीया हमारे देश में अपना काम फैला रही हैं ।
निश्चित तौर पर हम इस क्षेत्र में बहुत तेज़ी से विकास कर रहे हैं और हमारे देश का हर इंसान आज मोबाइल का उपयोग करना चाहता है। अब तो जीवन इसकी वजह से काफी तेज हो गया है और अपनों से संपर्क में रहने का सबसे अच्छा माध्यम है मोबाइल। मोबाइल ने जिसको सबसे ज़्यादा नुक्सान पहुँचाया है, वो है प्रेम पत्र । पहले प्रेमी प्रेमिका आपस में पत्र के माध्यम से अपनी भावानाओं को व्यक्त करते थे और सवाल भेजने और उसका उत्तर मिलने में कई दिन लग जाते थे, लेकिन मोबाइल के आने से पत्र का काम लगभग खत्म सा हो गया है। अब सब कुछ मोबाइल पर ही कुछ मिनटों में हो जाता है।
मोबाइल जिसके आज हम लोग आदि हो गए हैं। हमने मोबाइल के उपयोग को अपनी जिंदगी में सबसे ऊँचा स्थान दे दिया है मोबाइल नहीं तो किसी से संपर्क में रहना मुश्किल हो जाता है। ऐसा लगता है कि आने वाले समय में बच्चे को पैदा होने के बाद जो सबसे ज़रूरी चीज दी जाऐगी वो मोबाइल ही होगा।
नफा तो हमसे बहुत देख लिया इस मोबाइल का लेकिन इसका बहुत बड़ा नुक्सान भी है। हम सब जो मोबाइल के आदि हो चुके हैं अब १ मिनट भी बिना इसके रह नहीं सकते। मोबाइल अगर १ मिनट के लिए भी बंद हो जाता है चाहें बैट्री खत्म हो गई हो या नेटवर्क ना आ रहा हो या किसी भी वजह से तो हम सब परेशान हो जाते है और इस जुगाड़ में जुट जाते हैं कि कितनी जल्दी इसको चालू कर दे फिर से, इसकी वजह से हम टेंशन में आ जाते हैं और कई बार तो लोगो का बी पी भी हाई हो जाता है। इस तरह कई जिनको दिक्कत होती है वो नोमोफोबिया (nomophobia) नमक मानसिक बीमारी से ग्रस्त होते हैं।
कई बार ऐसा होता है कि मोबाइल जेब में है और हमको आभास होता है की मोबाइल की बेल बज रही है किसी की कॉल आ रही है, लेकिन जब देखते हैं तो किसी कि कॉल नहीं आ रही होती है, ऐसा आभास हमें बार बार होता है। ऐसा होना भी १ मानसिक रोग का लक्षण कहलाता है जिसको रिंगजयती (ringxiety) कहते हैं।
जितना आधुनिक हम हो रहे हैं उसे रूप में बीमारियाँ और रोग भी आधुनिक हो रहे हैं। शायद ही मोबाइल का दूसरा कोई विकल्प है, लेकिन अगर हम सावधानी बरते तो इससे होने वाले रोगों से बचा सकते हैं।
ध्यान दीजीये आप कहीं इनमे से किसी के शिकार तो नहीं

2 comments:

  1. ringxiety के शिकार रोज ही अपने आस पास दिखते हैं..

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  2. sir ji aakhir aapne salim khan ke blog per kaya comment kar diya ki wo bhark gaye aur delete kar diya jara humko bhi bataye, nikhil.848@rediffmail.com per please send kare, thanks a lot us ko jabab dene ke liye

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Thanks