Thursday, March 11, 2010

रंग दे बसंती नाम से हुआ शराब का रजिस्ट्रेशन


विकास पाण्डेय

जी हाँ मै भी ठीक इसी तरह हतप्रभ रह गया था ,जिस क्षण मैंने ये ख़बर सुनी

२३ मार्च 1931 तो आपको निश्चित ही याद होगी,आप सही सोच रहे हैं,इस दिन शहीद भगत सिंह,राज गुरु और सुखदेव को फाँसी दी गयी थी ,इसे हम शहीद दिवस के नाम से भी जानते हैं। करोंड़ो युवाओं के प्रेरणा स्रोत रहे, देश के असली हीरो को उनके 81 वे बलिदान दिवस पर श्रधांजलि देने के लिए पंजाब सरकार के आबकारी विभाग को क्या अनूठा तरीका सूझा है। आने वाले २३ तारीख को पंजाब सरकार ने राज्य में शराब के ठेकों की बोलियों को अंतिमरूप देने का निर्णय लिया है। आम जनता की अकांझाओ और परेशानियों की तो बात ही जाने दीजिये,हम यह भी नहीं चाहते कि इनकी याद में कोई सेमीनार कोई कार्यक्रम हो,लेकिन इस तरह का कार्य बिल्कुल निंदनीय और अशोभनीय है।

हमें पता है कि देश कि सरकार के पास इतना समय नहीं है कि इन शहीदों के लिए कहीं दीप प्रज्वलित करायें और 2 मिनट का मौन रखे ,यहाँ मै नेहरु परिवार कि बात नहीं कर रहा । उस दिन तो बड़े से बड़े नेताओं का तांता लगा रहता है,सब अपना-अपना प्लेटफोर्म बनाने में लगे रहते हैं कि बस एक नज़र मेरे उपर भी पड़ जाए। मै ये नहीं कह रह कि उनकी याद में ऐसा न हो,लेकिन हिन्दुस्तान को आज़ाद करवाने में सिर्फ उन्ही का योगदान नहीं था ,और भी बहुत से स्वतंत्रता सेनानी थे,जिनकी स्मृति में भी दिलचस्पी दिखना चाहिए।

और शहरों का तो नहीं पता लेकिन इलाहाबाद इस मामले में भाग्यशाली है ,जहाँ प्रति वर्ष चन्द्र शेखर आज़ाद की याद में कम्पनी बाग़ में स्थ्ति अल्फ्रेड पार्क में जहाँ आज़ाद जी कि मूर्ति है,वहां कम से कम दीप जला कर उनको श्रधांजलि दी जाती है। लेकिन यहाँ बात २३ मार्च कि कर रहा हूँ तो इस ख़ास दिन इस तरह का कार्य नहीं होना चाहिए ,वो भी सरकार द्वारा। पंजाब सरकार शायद यह भूल गयी कि शहीदों कि बनायी नौजवान भारत सभा का सबसे बड़ा सन्देश यही था कि युवा अपनी कमजोरियों को दूर करें ,नहीं तो खुदगर्ज लोग इसका बहुत ही ग़लत फायदा उठाएंगे।
पंजाब सरकार के इस कृत से साफ स्पष्ट होता है कि इनके मन में शहीदों के लिए कितना स्नेह ,सम्मान ओर इज्ज़त है किसी ने क्या खूब कहा है कि ---

शहीदों कि चिताओं पर लगेंगे हर वर्ष मेले ,
वतन
पर मर मिटने वालों का यही नामो निशा होगा

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