Wednesday, January 13, 2010

हमारी जात एक है पर बिरादरी नहीं ..................




जाने कैसे हमारे आज के सिद्धांत और विचार कल आते आते बदल जाते हैं. या यूँ कहा जाए की इंसान का कोई सिद्धांत नहीं है , इंसान हर पल अपनी बात से मुकरने वाला जीव है. जो अपनी सहूलियत के हिसाब से अपने आराम के हिसाब से हर सिद्धांत को हर मान्यता को बदल देता है.
पिचले दिनों कुछ ऐसा हुआ जिससे मुझे ये समझ आइय की इंसान का कोई भरोसा नहीं है.
बात मेरे बचपन से शरू होती है, मेरे पिता जी सामाजिक आदमी हैं और सामाजिक कार्यों से जुड़े रहते हैं हमेशा . हमारे सहर में कोई भी सामाजिक सभा होती तो वहां जरुर जाते थे और अगर मेरे स्कूल की छुट्टी होती तो मुझे भे साथ ले जाते, जहाँ बड़े बड़े नेता और समाज के वरिष्ट लोग आते थे, और अपने भाषण देते थे.
मैं अपने पिता जी के  साथ बहुत से ऐसे सामाजिक भीड़ में गया हूँ, वहा पर मुझे कुछ समझ  तो आत नहीं था की ये नेता लोग क्या भाषण दे रहे हैं, मैं अपने पापा से अक्सर पूछा करता था की पापा ये लोग क्या बताते हैं तो मेरे पिता जी कहते की बेटा इनको धयान से सुना करो,ये हमें मिलजुल कर रहने की बात बताते हैं. ये हमें सिखाते हैं की जात पात कुछ नहीं होती है सब मनुष्य एक सामन है और भगवन भी १ ही  है. हमें कभी किसी के साथ भेद भाव नहीं करना चाहिये और सब के साथ प्रेम से मिल कर रहना चाहिये.
आज भी मेरे पापा का वही सिलसिला जारी है अब वो सिर्फ भीड़ में बैठ के भाषण ही नहीं सुनते बल्कि खुद भी stage पर खड़े हो के और हाँथ में मईक ले कर लोगो को एक साथ रहने और आपस में भेद भाव ना रखने का ज्ञान बताते हैं.
मैं आज भी जब अपने घर जाता हु तो कभी कभी जब मौका मिलता है तो ऐसे सामाजिक सभा में जाता हूँ. बचपन में समझ  में नहीं आता था लेकिन अब सब समझ में आत है और ये सब देख सुन के बड़ी ख़ुशी होती है की हम लोग जात पात छोड़ने की बात करते हैं भेद बहव ख़तम करने के बारे में सोचते हैं....................??????????
मैं जब इस बार अपने घर गया तो हमारे घर में अजीब सा माहोल था  कोई पूंछने पर कुछ  बता नहीं रहा था, मैंने अपनी अम्मा से पूछा की क्या बात है. तो उनोहोने बड़ी मुश्किल से बताया की तुम्हारे भैया ने खुद १ लड़की पसंद की है और उससे शादी करने को कह रहे हैं.
तो मैंने कहा की शादी तो वैसे भी  आप  लोग उनकी करने की सोच ही  रहे थे अब लड़की खोजने नहीं पड़ेगी जब उनोहोने खुद ही पसंद कर ली है तो.
मेरी माँ ने रोते हुए कहा की नहीं वो लड़की ठीक नहीं है, मैंने पूंछा क्यों क्या वो लड़की पढ़ी लिखी नहीं है या अभी शादी के लायक नहीं है, क्यूंकि मेरी नज़र में लड़की ठीक ना होने का यही तो कारण  था.

लेकिन माँ ने बताया  की वो हमारे बिरादरी की नहीं है. वो हमसे निचे बिरादरी की है.

तो मैंने कहा की है तो हिन्दू ही  ना और  जब हामरे घर आ जाऐगी तो हमारी बिरादरी की भी  हो जाऐगी.
तब तक मेरे पिता जी आ गए और मेरी बात को सुनाने के बाद कहा की बिलकुल सही जा रहे हो बेटा, हम तुमको इसलिए लिए बहार भेज के पढ़ा लिखा रहे हैं ताकि तुम आ के हमको जात बिरादरी का ज्ञान दो और किसी और जात की लड़की ला के हमारे घर की बहु बना दो . एक बात सुन लो  शादी वही होगी जहाँ हमारी जात बिरादरी मिलेगी.

मैंने कहा, पिता जी  बिरादरी से क्या होता है वो भी  हिन्दू है और हम भी और सबसे बड़ी चीज है की वो भी तो इंसान की हे बेटी है कोई और जीव जंतु तो नहीं.

मैंने कहा पापा आप से जो सुना और सिखा वही बात कर राहा हूँ, आपने हे बचपन में बताय था की जात पात और उंच नीच कुछ नहीं होता है और सारे इंसान १ सामन है और हमें सबका आदर और इज्ज़त करना चाइए. फिर आज आप अपनी ही बात से क्यूँ मुकर रहे हैं.
मेरे पिता जी ने बस इतना ही  कहा कि, ये समाज की बात नहीं है ये मेरा घर है और यहाँ वही होगा जो मैं चाहूँगा.
फिर मैंने उनसे कोई बहेस नहीं की बस यही सोचता रहा है जिस इंसान को मैं बचपन से ले कर आज  तक समाज की बात और जात पात हटाओ भेद भाव  मिटाओ जैसे बात करते और लोगो को समझाते देखता रहा, आज वही इंसान कैसे अपनी हे कही हुए बात से मुकर रहा है.

7 comments:

  1. मित्रता या अन्‍य परस्‍पर व्‍यवहार के लिए ऊंच नीच या जातिबंधन की कोई आवश्‍यकता नहीं होती .. पर शादी विवाह एक समान स्‍तर में होना अधिक आवश्‍यक है .. यदि दो चार पुश्‍त से किसी परिवार के लोग या नजदीकी रिश्‍तेदारों में जाति आधारित काम नहीं हो रहा हो .. तो विवाह में जाति को उतनी अहमियत नहीं दी जानी चाहिए .. वैसे समाज में अचानक बदलाव लाना भी पुराने पीढी के लोगों के लिए कुछ कठिन होता है .. कभी कभी ऐसे निर्णय लेने में अभिभावकों को कुछ समय भी लग जाता है .. इतना आवेश में आने की आवश्‍यकता नहीं है आपको .. क्रमश: सारी परिस्थितियों को समझना और तद्नुरूप काम करना चाहिए आपको !!

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  2. सही है। 'चौकी' की बात 'चौके' में नहीं लाई जानी चाहिए :)

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  3. बेहतरीन लेखन, विचारणीय....कई सवाल छोड़ दिया सोचने के लिए।

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  4. एक ऐसी सच्चाई से रूबरु हुए है, जिसने शायग जैनेरेशन गैप कहते है। ऐसे ही है हम ज्ञान तो बहुत देते है, लेकिन खुद के घर में वैसा होने नहीं देते

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  5. ब्लाग का रंग संयोजन ठीक नही है ,पढ़ने में कठिनाई हो रही है ।

    हिंदी ब्लाग लेखन के लिये स्वागत और बधाई । अन्य ब्लागों को भी पढ़ें और अपनी बहुमूल्य टिप्पणियां देने का कष्ट करें

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  6. अपने पापा को "3idiot" दिखाइये.....शायद बात उनकी समझ में आ जाए। आपके विचार बहुत अच्छे हैं...लगे रहिए
    और कभी मौका निकालकर मेरे ब्लॉग पर आइए......
    http://savitabhabhi36.blogspot.com
    यहां शायद आपको कुछ पसंद आ जाए, उम्मीद है आपको अच्छा लगेगा।

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  7. aap sab ki hauslaafzai aure comments ke liye bahut bahut shukriya

    Ramesh Maurya

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Thanks